वेदो मे जो कहा गया हे वो अब विजान भी मानने लगा हे
विजान के हिसाब से ब्रह्माण्ड की आयु
विजान के हिसाबसे ब्रह्माण्ड की आयु 13 करोण वर्ष हे । वैजानिको के हिसाबसे आज ब्रह्माण्ड की उत्पति की सर्व मान्य थियोरी बिगबेंग की थियोरी हे । बिगबेंग की थियोरी के अनुसार ब्रह्माण्ड की उत्पति उर्जा के ऐक बिंदु से हुई थी ।यह उर्जा का बिंदु अचानक बडा होने लगा, और फीर हजारो सालो तक ठंडा होने के बाद ब्रह्माण्ड ईस अवस्था मे पहोंचा जिसे आज हम देख रहे हे । विजान के हिसाबसे ब्रह्माण्ड की आयु 13.62 करोड वर्ष हे ।
वेदो के अनुसार ब्रह्माण्ड की आयु
ऋगवेद के 10 मंडल के 121 के सूत्र मे कहा गया हे की ब्रह्मा की आयु 100 वर्ष हे । सबसे पहले वेदो मे हमारी समज के लिए सब सरल कर दिया गया हे । जेसे पृथ्वी जब सुरज का एक चक्कर पूरा कर लेती हे तब पृथ्वी का एक वर्ष पूर्ण होता हे वेसे ही संभावना हे की जब ब्रह्माण्ड अपनी घुरी पे एक चक्कर पुर्ण करता हे तो वो ब्रह्मभा का एक वर्ष होता हे । ब्रह्मा के एक वर्ष 360 दिनो का होता हे । ब्रह्मा के एक दिन मे 28 मनवन्तर आते हे ।
हम इस समय ब्रह्मा के पहले आघे कल्प को ही गीनेगे इसका कारण मे आपको आगे लेख मे बताउगा । वेदो मे और एक बात कही गई हे की दो मनवन्तर के बीच एक सत्युग आता हे । 14 मनवन्तर के बीच मे 15 खाली जगह आती हे यानी 15*40/100=6 महायुग ।( क्युकी सत्युग महायुग का 40% हिस्सा होता है इसलिए सत्युग=0.4 महायुग ।) यानी एक कल्प मे महायुग = 14*71+6 = 1000 महायुग । अब एक कल्प मे दिन का समय =4320000*1000=4320000000 वर्ष या 432 करोड वर्ष
अब विजान और वेदो का सबसे बडा विरोधाभास
ऋगवेद के अनुसार ब्रह्मा जब कल्प के दूसरे भाग यानी रात्री मे आते हे तब प्रलय आती हे और सब भगवान मे लुप्त हो जाता हे या कहे तो गुल जाता हे । यानी बाकी के 14 मनवन्तर मे ब्रह्माण्ड सिकुडके एक बिंदु पर पहोच जाता हे और फिर एक नये ब्रह्माण्ड के लिए तैयार हो जाता हे। यानी ब्रह्माण्ड के जन्म से लेके उसके अंत तक ब्रह्माण्ड की आयु 432 करोड वर्ष होनी चाहीए यानी अभी ब्रह्माण्ड की आयु 432 करोड वर्ष से कम होनी चाहीए । ( नोंध:- ब्रह्माण्ड की असल आयु 1972944000 वर्ष हे यानी 1972 करोड वर्ष हे । परंतु विजान ब्रह्माण्ड की आयु की गणना अकाश गंगाओ के एक दूसरे से दूर जाने की गति के आघार पे और सितारो की आयु के आधार पे यानी ब्रह्माण्ड मे गुमती रेडीएशन के आधार पे करता हे ।)
इन अंको मे इतना तफावत क्युं?
अभी विजान ने कइ एसी थियोरी दी हे जीन्से हमे ब्रह्माण्ड को समजने मे मदद मीलि हे जेसे की आइन्सटाइन की दी हुई जनरल रीलेटीवीटी ।आइन्सटाइन ने समजाया की समय की गती आकाश की घनता पे आधारित हे । यानी चांद पे समय पृथ्वी के तुलना मे तेज चलता हे । ब्रह्माण्ड मे ऐसे शेत्र हे जहा प्रकाश की गती ज्यादा या कम हे । वैजानिओ की ब्रह्माण्ड की आयु की गणना करने की रीत ब्रह्माण्ड की सबसे दूर से आ रहे प्रकाश की गणना की जाति हे यानी जो आकाश गंगा सबसे दूर हे उतना ही ब्रह्माण्ड वृध्ध हे । ब्रह्माण्ड की आयु परमाणुओ के रेडीयोएकटीव विघटन के आधार पर भी की जाति हे । लेकीन रेडीएशन का परमाणुओ पर क्या प्रभाव पडता हे वो हम नहीं जानते । यह परिस्थितिया इन अंको पर प्रभाव डालती हे । हमे वेदो मे ब्रह्माण्ड की आयु की गणना जो रीत उपयोग की गई हे उसे खोजना होगा ।
ब्रह्माण्ड का कल्प के दूसरे भाग मे नाश हो जाना इसका अर्थ
वेदो मे कहा गया हे की कल्प के अंत मे ब्रह्माण्ड का नाश हो जाता हे वो गुल जाता हे । इस बात का अर्थ ब्रह्माण्ड फिरसे उर्जा में परिवर्तीत हो जाता या ब्रह्माण्ड नए पदार्थ में परिवर्तीत हो जाता हे । एक नई थियोरी के अनुसार ब्रह्माण्ड मे शक्ति के चरण होते हे जिसके अनुसार ब्रह्माण्ड में पदार्थ सि्थर रहता हे । जेसे पानी मेसे उर्जा खीच ली जाति हे तब वह बरफ बन जाता हे वेसे ही जब ब्रह्माण्ड मेसे उर्जा कम होती हे तब उसमे भी पदार्थ की अवस्था बदल जाति हे । और एक नए ब्रह्माण्ड का जन्म हो जाता हे या फिर ब्रह्माण्ड फिरसे परिवर्तीत हो जाता हे । ऋगवेद मे कहा गया हे की ब्रह्मा कल्प के दूसरे आधे भाग मे निंद मे होते हे यानी वो कहना चाहते होगे की वह अपना नियंत्रण खो देते होगे यानी जो नियम ब्रह्माण्ड को बनाये हुए हे वो नहि रहेगे यानी ब्रह्माण्ड फिरसे उर्जा ही रहेगी जो उर्जा आकाश को बनाये हुए हे वो भी धीरे धीरे कम होने लगे और ब्रह्माण्ड फिरसे एक बिंदु मे परिवर्तीत हो जाता हे ।
रोझ विजान तरक्की कर रहा हे और वेदो की बातो को प्रमाणीत कर रहा हे । हम ब्रह्माण्ड के बारे मे बहोत कम जानते हे जीस दीन हम ब्रह्माण्ड के बारे पुर्णतह: जान जाएगे हम वेदो को पुरी तरह समज जाएगे ।
"अगर हम ब्रह्माण्ड को पुरी तरह समजभी गए तो नए कल्प के साथ फिरसे एक नया ब्रह्माण्ड होगा समजने के लिए ।"
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