Tuesday 23 February 2016

क्यू अग्नि अपवित्र हो गयी थी?

जब ताड़कासूर का आतंक बढने लगा तब भगवान शिव और माता पार्वती ने धोर तपस्या करके कार्तिकेय को जन्म दिया |

लेकिन देवताओ को भय था की ताड़कासूर कार्तिकेय को जन्म लेते ही मार देगा | इसी भय के चलते उन्होने निर्णय लिया की देवता कार्तिकेय को किसी सुरक्षित स्थान पर ले जायेगे | और ये दायित्व अग्निदेव को सोपा गया |

अग्निदेव उस कन्द्रा मे गये जहा पर माता पार्वती और भगवान शिव तपस्या कर रहे थे | अग्निदेव ने कार्तिकेय को उठा लिया जो अभी एक उर्जापिंड था |

जब माता पार्वती का ध्यान टूटा तो उन्होने कार्तिकेय को खोजा लेकिन उसे समीप ना पा कर उन्हे चिंता हुई | माता पार्वती ने फिर अपनी शक्तियो से सारी स्थिति का ज्ञान कर लिया , और वो अग्निदेव पर अत्यन्त क्रोधित हुई | क्युकि किसी मां को अपनी नवजात संतान से दूर करना बहुत बडा अपराध होता हे |

माता पार्वती ने अग्निदेव को श्राप दिया की " अग्नि अपवित्र हो जायेगी | उसमे से काले रंग का धुम्र निकलेगा |"

जब अग्निदेव को श्राप के विषय मे ग्यात हुवा तो वो भगवान शिव के पास गये और उन्हे श्राप का उपाय पुछा | तब भगवान शिव ने कहा की " भले ही तुमसे काले रंगका धूम्र निकले लेकिन तुम पुण्य करके फिरसे पवित्र हो जाओगे | तुम यज्ञ और हवन जेसे पवित्र कार्यो के माध्यम बनोगे |"

इस तराह अग्नि अपवित्र हो गये थे , लेकिन उन्होने अपने पुण्यो से अपनी पवित्रता प्राप्त की |

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