Wednesday 24 February 2016

गणेश ने कुबेर का अहंकार केसे तोडा?

जब कुबेर को धन का देवता बनाया गया तब उसे ये अहंकार हो गया की बो विश्व का सबसे धनवान व्यक्ति हे | तब कुबेर ने सोचा की क्युना अपने धन का वैभव सारे देवताओ को दिखाया जाये | इसी कारण से उसने महाभोज का आयोजन किया और सभी देवी-देवताओ को आमंत्रित किया |

इस भोज मे कुबेर ने शिव परिवार को आमंत्रित किया | लेकिन भगवान शिव ने कहा की उनकी और से केवल गणेश ही आयेगे | भगवान शिव ने एसा इसलिये कहा क्युकी उन्हे कुबेर के अहंकार का आभाष हो गया था | तब उन्होने गणेश को कुबेर के भोज मे जाने को कहा तब उन्हे ये ग्यात हो गया की उन्हे भगवान शिव क्या कहना चाहते हे | गणेश ने तभी कुबेर से कहा की उनको जब तक संतुष्ठी तब तक भोजन देना होगा | तब कुबेर ने अपने अहंकार मे केह दिया की जरुर आप जितना चाहे उतना भोजन कर सकते हे |

गणेश जब महाभोज पर पहोचे तो उनको शिवांश और प्रथम पुज्य होने के कारण सबसे पहले भोजन करने को दिया गया | तब गणेश ने कुबेर को अपना वचन याद कराया | तभ्भि कुबेर ने बिना चिंता के हा कहा ये सोचकर की "आखिर एक बालक कितना खायेगा!"

लेकिन जब गणेश ने भोजन करना शुरू किया तो वो खाते ही चले गये , देखते देखते सारा भोजन समाप्त हो गया | जो भोजन पूरे भारत को एक माह तक चल सकता था वो केवल गणेश ही खा गये अब कुबेर के पूरे राज्य मे कही भी अनाज नही बचा था तब कुबेर ने गणेश से कहा की " हे ! शिवांश हमारे राज्य का सारा अनाज समाप्त हो गया हे अगर कही अनाज होता तो मे अभी खरिद के ले आता |"

ये बात सनकर गणेश को क्रोध आया की "अभिभी इसका अहंकार नही गया ,इसे लगता हे की ये धन से कुछ भी कर सकता हे |" तब गणेश ने कुबेर का सारा धन खाना सुरू किया देखते देखते सारा धन भी समाप्त हो गया | अब गणेश ने कुबेर से कहा की अब तुम्हारे पास अपने शरीर के अतिरिक्त कुछ भी नही हे इस लिये मे अब तुम्हे ही खाउगा |

ये सुनकर कुबेर अत्यन्त भयभीत हो गया | जब गणेश ने उसको हाथ मे लिया तो वो भय के मारे भगवान शिव का अवाहन करने लगा तब भगवान शिव प्रगट हुए और उन्होने गणेश को रोका | भगवान शिव ने तब उसे माता पार्वती का बनाया हुवा मोदक दिया जिसे खा कर गणेश की भुख शांत हुइ |

भगवान शिव ने बाद मे कुबेर को समजाया की वो केवल धन का रखवाला हे | ये धन उसका नही हे | धन किसी के पास टिकता नही हे | वो नश्वर हे |

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