Sunday 24 January 2016

क्या अर्जुन अहंकारी था?

महाभारत खतम होने के कुछ समय बाद |

महाभारत खतम होने के कुछ समय बाद अर्जुन को ये अहंकार आ चुका था की वो विश्व का उत्तम धनुर धारी हे | ऐसे ही एक दिन जब अर्जुन अपने रथ पे जा रहा था तो उसके मार्ग मे एक नदी आ गइ | उसने अपने बाणो से एक पुल बना दिया और नदी को पार कर लिया |

अर्जुन के अहंकार का बोध हनुमान को हो गया था इस लिये उन्होने अर्जुन के अहंकार को तोडने का ठान लिया | जब अर्जुन नदी पार करके आया तब उसने हनुमान को वहा पर खडा पाया | अर्जुन ने हनुमान को प्रणाम किया | हनुमान ने पुछा की क्या "ये पुल तुमने बनाया हे?" , अर्जुन ने कहा की हा ये पुल उसने ही बनाया हे | और अर्जुन ने अपने अहंकार मे हनुमान से पुछा की" जब भगवान राम एक बाण से पुल बना सकते थे तो उन्होने बाराह दिन तक कडी तपस्या करके वानरो से क्यू पुल बनवाया ?" तब हनुमान ने उत्तर दिया की बाण से बनाया हुवा पुल पुरी सेना का बोज नही उठा सकता | तब अर्जुन ने अपने अहंकार मे कहा की "ये संभव नही!, बाण से बना हुवा पुल भी सेना का बोज उठा सकता हे |" तब हनुमान ने अर्जुन को चुनौती दी की वो बाण से पुल बनाय और वह उस पर चल कर देखेगे की पुल उनका भार उठा सकता हे की नही?

तब अर्जुन ने अपने बाण से पुल बना दिया लेकिन जब हनुमान ने केवल अपना अंगूठा ही रखा था की पुल तुट गया | अर्जुन को इस बात पर विश्वास ही नही हुवा और उसने अपने अहंकार मे कहा की "मे एक और बार पुल बनाउगा और अगर पुल इस बार नही टीका तो मे अपने प्राण त्याग दुंगा |" लेकिन जब फिरसे हनुमान ने अपना अंगूठा ही रखा की पुल तुट गया , अब अर्जुन का अहंकार तुट चुका था और अपने वचन और शर्म के कारण वह अपने प्राण त्याग ने जा रहा था | तब हनुमान ने उन्हे समजाया की इतनी सी भुल मे प्राण त्यागना उचित नही हे | तभी वहा से एक साधु पसार हुवे और उन्हे स्तिथि अवगत थी | उस साधु ने अर्जुन को एक और बार प्रयास करने को कहा , वो साधु और कोई नही परंतु श्री कृष्ण थे | उन्होने अपने सुदर्शन चक्र से पुल को सहारा दिया और पुल नही गिरा जब हनुमान उस पर चढे |

फिर कृष्ण अपने अवतार मे आ गये और अर्जुन को समजाया की इतनी सी बात मे प्राण त्यागना उचित नही | अर्जुन ने भी उनका केहना मान कर वहा से प्रषथान किया |

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