Wednesday 24 February 2016

क्यू नर्मदा गंगा से भी पवित्र मानी जाती हे?

हिंदु धर्म मे हर मान्यता के पीछे एक कहानी होती हे | इस मान्यता के पीछे भी एक कहानी हे |

जब भगवान शिव और माता पार्वती ने धोर तपस्या करके अपने अंश कार्तिकेय को जन्म दिया तो ताड़कासूर उसे मार देना चाहता था | इस लिये देवताओ को भय लगा की अगर ताड़कासूर ने कार्तिकेय को मार दिया तो वो अमर हो जायेगा!

इसी कारण देवताओने निश्चय किया की वो कार्तिकेय को कही सुरक्षित स्थान पर ले जायेगे | तब ये भार अग्नि देव को सोपा गया | अग्नि देव ने कार्तिकेय को उर्जा को धारण किया | लेकिन कार्तिकेय की उर्जा इतनी ज्यादा थी की अग्नि देव उसे सम्भाल नही पाए | क्युकि अगर वो और देर तक उसे धारण करते तो वो उर्जा अग्नि देव को भी भस्म कर देती |

इसी कारण अग्निदेव ने वो उर्जापिंड देवी गंगा को सोप दिया | देवी गंगा को बहोत प्रशन्न्ता हुई की उन्हे मां बनने का अवशर प्राप्त हुवा हे | तभी माता पार्वती का ध्यान टूटा उन्होने कार्तिकेय और उसको समीप ना पा कर उन्हे चिंता हुइ और अपनी शक्तियो से उन्होने सारी स्थिति का ज्ञान हो गया | और वो देवताओ पर अत्यन्त क्रोधित हुई | वो देवी गंगा पर भी अत्यन्त क्रोधित हुइ |

माता पार्वती ने देवी गंगा को फिर श्राप दिया की " मनुष्यो के पाप धोते धोते वो खुद मलिन हो जायेगि | उनमे शव बहेगे |" तब देवी गंगा ने उस उर्जा को पृथ्वी को दिया | श्राप के विषय मे ग्यात होते ही देवी गंगा भगवान शिव के पास गई , उन्होने भगवान शिव से विनती की की अगर वो खुद मैली हो जायेगी तो मनुष्यो के पाप केसे धोयेगी |

तब भगवान शिव ने कहा की पार्वती के श्राप को तो वापस नही लिया जा सकता लेकिन इस श्राप का उपाय ये हे की , भविस्य मे नर्मदा नाम से एक नदी की उत्तपत्ति होगी जिसमे देवी गंगा जब गाय का रूप लेकर स्नान करेगी तो उंकि सारी मलिन्ता दूर हो जायेगी |

इस तराह जब नर्मदा देवी गंगा को पवित्र करती हे तो वो उनसे भी ज्यादा पवित्र मानी जाती हे |

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